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"अनगढ़ मन/राणा प्रताप सिंह" के अवतरणों में अंतर

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07:04, 11 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण

अनगढ़ मन सपनों की दुनिया
रोज सजाता है
ढोल मंजीरे झांझ पखावज
साज बजाता है

मिलता जब कोई प्यारा सा
अंधियारे में उजियारा सा
उस प्यारे संग पंख पसारे
असमान में हो भिनसारे
उड़ता जाता है

उलझा संबंधों का धागा
रिश्तों पर बैठा हो कागा
संवादों की डोर थामकर
ताना बाना खींच तानकर
सब सुलझाता है

कभी चपल चपला सा चहके
कभी अलस की साँझ में दहके
बह जाता जीवन धारा में
जैसे मांझी नाव नदी में
खेता जाता है