भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ख़ामोश हूँ मुद्दत से नाले हैं न आहें हैं / सीमाब अकबराबादी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सीमाब अकबराबादी |संग्रह= }} Category:गज़ल <poem> ख़ामोश ह...)
 
 
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
  
 
‘सीमाब’ गुज़रगाहे-उल्फ़त को भी देख आये।
 
‘सीमाब’ गुज़रगाहे-उल्फ़त को भी देख आये।
बिगडे हुए रस्ते हैं, उलझी हुई राहें हैं॥
+
बिगड़े हुए रस्ते हैं, उलझी हुई राहें हैं॥
  
 
</poem>
 
</poem>

08:48, 20 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण


ख़ामोश हूँ मुद्दत से नाले हैं न आहें हैं।
मेरी ही तरफ़ फिर भी दुनिया की निगाहें हैं॥

‘सीमाब’ गुज़रगाहे-उल्फ़त को भी देख आये।
बिगड़े हुए रस्ते हैं, उलझी हुई राहें हैं॥