भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बहारे-रफ़्ता को ढूँढें कहाँ-कहाँ यारो / साग़र पालमपुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोहर 'साग़र' पालमपुरी }} Category:ग़ज़ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:11, 22 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण

बहारे-रफ़्ता को ढूँढें कहाँ-कहाँ यारो
कि अब निगाहों में यादों की है ख़िज़ाँ यारो

झुका-झुका-सा है माहताब आरज़ूओं का
धुआँ-धुआँ हैं मुरादों की कहकशाँ यारो

ये ज़िन्दगी तो बहारो-ख़िज़ाँ का संगम है
ख़ुशी न दायमी ग़म भी न जाविदाँ यारो