भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ये हुजूमे-ग़म ये अन्दोहो-मुसीबत देखकर / जिगर मुरादाबादी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जिगर मुरादाबादी }} {{KKCatGhazal}} <poem> ये हुजू...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:50, 22 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण


ये हुजूमे-ग़म<ref>दुखों का झुण्ड</ref> ये अन्दोहो-मुसीबत<ref>दुख और व्यथा</ref> देखकर
अपनी हालत देखता हूँ उसकी हालत देखकर

शब्दार्थ
<references/>