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"राष्ट्र देवता / सोम ठाकुर" के अवतरणों में अंतर
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− | तेरी हथेली उठी, | + | तेरी हथेली उठी, |
− | किरणें उगने लगीं, | + | किरणें उगने लगीं, |
− | ऋतु हो गई चंपई | + | ऋतु हो गई चंपई |
− | दिन की साँसें जगीं, | + | दिन की साँसें जगीं, |
− | तू ने दिया रात को | + | तू ने दिया रात को |
− | गुलाबी सुबह का पता। | + | गुलाबी सुबह का पता। |
− | ओ देवता! देश के देवता!! | + | ओ देवता! देश के देवता!! |
− | फलने लगा फौलाद | + | फलने लगा फौलाद |
− | मेहनत की बाँह में, | + | मेहनत की बाँह में, |
− | उठते हुए तूफ़ान | + | उठते हुए तूफ़ान |
− | तेरे द्वारे थमें, | + | तेरे द्वारे थमें, |
− | संघर्ष की गोद में | + | संघर्ष की गोद में |
− | सदा से सृजन खेलता। | + | सदा से सृजन खेलता। |
− | ओ देवता! देश के देवता!! | + | ओ देवता! देश के देवता!! |
− | काल का वसंती मंत्र | + | काल का वसंती मंत्र |
− | पढ़ती हैं पीढ़ियाँ, | + | पढ़ती हैं पीढ़ियाँ, |
− | सपने सयाने हुए, | + | सपने सयाने हुए, |
− | चढ़ते हैं सीढ़ियाँ | + | चढ़ते हैं सीढ़ियाँ |
− | संसार बढ़ते हुए | + | संसार बढ़ते हुए |
तेरे चरण देखता। | तेरे चरण देखता। | ||
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11:24, 24 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
तुझ पर निछावर फूल
केसरिया शीश फूल
ओ देवता! देश के देवता!!
तेरी हथेली उठी,
किरणें उगने लगीं,
ऋतु हो गई चंपई
दिन की साँसें जगीं,
तू ने दिया रात को
गुलाबी सुबह का पता।
ओ देवता! देश के देवता!!
फलने लगा फौलाद
मेहनत की बाँह में,
उठते हुए तूफ़ान
तेरे द्वारे थमें,
संघर्ष की गोद में
सदा से सृजन खेलता।
ओ देवता! देश के देवता!!
काल का वसंती मंत्र
पढ़ती हैं पीढ़ियाँ,
सपने सयाने हुए,
चढ़ते हैं सीढ़ियाँ
संसार बढ़ते हुए
तेरे चरण देखता।