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"राष्ट्र देवता / सोम ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

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सदा से सृजन खेलता।<br>
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काल का वसंती मंत्र<br>
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संसार बढ़ते हुए<br>
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तेरे चरण देखता।
 
तेरे चरण देखता।
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11:24, 24 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण

तुझ पर निछावर फूल
केसरिया शीश फूल
ओ देवता! देश के देवता!!

तेरी हथेली उठी,
किरणें उगने लगीं,
ऋतु हो गई चंपई
दिन की साँसें जगीं,
तू ने दिया रात को
गुलाबी सुबह का पता।
ओ देवता! देश के देवता!!

फलने लगा फौलाद
मेहनत की बाँह में,
उठते हुए तूफ़ान
तेरे द्वारे थमें,
संघर्ष की गोद में
सदा से सृजन खेलता।
ओ देवता! देश के देवता!!

काल का वसंती मंत्र
पढ़ती हैं पीढ़ियाँ,
सपने सयाने हुए,
चढ़ते हैं सीढ़ियाँ
संसार बढ़ते हुए
तेरे चरण देखता।