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"ख़ुद को पहचानता नहीं हूँ मैं / रविंदर कुमार सोनी" के अवतरणों में अंतर
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ख़ुद को पहचानता नहीं हूँ मैं | ख़ुद को पहचानता नहीं हूँ मैं | ||
तुझ को अपना रहा नहीं हूँ मैं | तुझ को अपना रहा नहीं हूँ मैं | ||
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अपनी ही ज़ात में हूँ खोया हुआ | अपनी ही ज़ात में हूँ खोया हुआ | ||
तुझ से लेकिन जुदा नहीं हूँ मैं | तुझ से लेकिन जुदा नहीं हूँ मैं | ||
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है कमी भी, बुराई भी मुझ में | है कमी भी, बुराई भी मुझ में | ||
आदमी हूँ ख़ुदा नहीं हूँ मैं | आदमी हूँ ख़ुदा नहीं हूँ मैं | ||
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तेरे होने का है यक़ीं मुझ को | तेरे होने का है यक़ीं मुझ को | ||
तूने क्या कह दिया नहीं हूँ मैं | तूने क्या कह दिया नहीं हूँ मैं | ||
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क्यूँ उठाते हो बज़्म ए इशरत से | क्यूँ उठाते हो बज़्म ए इशरत से | ||
साज़ ए ग़म की सदा नहीं हूँ मैं | साज़ ए ग़म की सदा नहीं हूँ मैं | ||
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दिल को ये कह के क्यूँ न खुश कर लूँ | दिल को ये कह के क्यूँ न खुश कर लूँ | ||
ग़म से ना आशना नहीं हूँ मैं | ग़म से ना आशना नहीं हूँ मैं | ||
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मैं हूँ दीदार जू, नकाब उठाओ | मैं हूँ दीदार जू, नकाब उठाओ | ||
देख लो आइना नहीं हूँ मैं | देख लो आइना नहीं हूँ मैं | ||
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ज़ीस्त की आँख से न जो टपका | ज़ीस्त की आँख से न जो टपका | ||
क़तरा वो खून का नहीं हूँ मैं | क़तरा वो खून का नहीं हूँ मैं | ||
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15:32, 25 फ़रवरी 2012 का अवतरण
ख़ुद को पहचानता नहीं हूँ मैं
तुझ को अपना रहा नहीं हूँ मैं
अपनी ही ज़ात में हूँ खोया हुआ
तुझ से लेकिन जुदा नहीं हूँ मैं
है कमी भी, बुराई भी मुझ में
आदमी हूँ ख़ुदा नहीं हूँ मैं
तेरे होने का है यक़ीं मुझ को
तूने क्या कह दिया नहीं हूँ मैं
क्यूँ उठाते हो बज़्म ए इशरत से
साज़ ए ग़म की सदा नहीं हूँ मैं
दिल को ये कह के क्यूँ न खुश कर लूँ
ग़म से ना आशना नहीं हूँ मैं
मैं हूँ दीदार जू, नकाब उठाओ
देख लो आइना नहीं हूँ मैं
ज़ीस्त की आँख से न जो टपका
क़तरा वो खून का नहीं हूँ मैं