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"ग़म का अहसास जवाँ हो जाता / रविंदर कुमार सोनी" के अवतरणों में अंतर

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अश्क आँखों से रवाँ हो जाता
 
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कुछ तो हो जाता असर उन पर भी
 
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क़िस्सा ए ग़म जो बयाँ हो जाता
 
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सुबह आती तो धुन्दलके जाते
 
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दूर ज़ुल्मत का धुआँ हो जाता
 
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मेरे सजदों से तिरा नक़श क़दम
 
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मेरी मंज़िल का निशाँ हो जाता
 
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जल रहा था मिरे दिल का कागज़
 
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आग बुझती तो धुआँ हो जाता
 
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दिल में ज़ख्मों को छुपा लेता रवि
 
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राज़ जीने का अयाँ हो जाता
 
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15:35, 25 फ़रवरी 2012 का अवतरण

ग़म का अहसास जवाँ हो जाता
अश्क आँखों से रवाँ हो जाता

कुछ तो हो जाता असर उन पर भी
क़िस्सा ए ग़म जो बयाँ हो जाता

सुबह आती तो धुन्दलके जाते
दूर ज़ुल्मत का धुआँ हो जाता

मेरे सजदों से तिरा नक़श क़दम
मेरी मंज़िल का निशाँ हो जाता

जल रहा था मिरे दिल का कागज़
आग बुझती तो धुआँ हो जाता

दिल में ज़ख्मों को छुपा लेता रवि
राज़ जीने का अयाँ हो जाता