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"मैंने ये चेहरा कभी देखा न था / रविंदर कुमार सोनी" के अवतरणों में अंतर
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मैंने ये चेहरा कभी देखा न था | मैंने ये चेहरा कभी देखा न था | ||
आईने में अक्स वो मेरा न था | आईने में अक्स वो मेरा न था | ||
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आँख खुलते ही हक़ीक़त खुल गई | आँख खुलते ही हक़ीक़त खुल गई | ||
दरमियान ए मा ओ तो परदा न था | दरमियान ए मा ओ तो परदा न था | ||
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ख़्वाब ही देखा किया दिन भर मगर | ख़्वाब ही देखा किया दिन भर मगर | ||
किस लिए तू रात भर सोया न था | किस लिए तू रात भर सोया न था | ||
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कशमकश में ज़ीस्त की था कामराँ | कशमकश में ज़ीस्त की था कामराँ | ||
जिसने अपना होसला खोया न था | जिसने अपना होसला खोया न था | ||
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उसकी आँखों को उम्मीद ए दीद थी | उसकी आँखों को उम्मीद ए दीद थी | ||
मर गए पर भी तो दम निकला न था | मर गए पर भी तो दम निकला न था | ||
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धंस गया जज़्बात की दलदल में क्यूँ | धंस गया जज़्बात की दलदल में क्यूँ | ||
जिस का तन मैला था मन मैला न था | जिस का तन मैला था मन मैला न था | ||
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मैंने खोया और तूने पा लिया | मैंने खोया और तूने पा लिया | ||
ऐ रवि मुमकिन कभी ऐसा न था | ऐ रवि मुमकिन कभी ऐसा न था | ||
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16:04, 25 फ़रवरी 2012 का अवतरण
मैंने ये चेहरा कभी देखा न था
आईने में अक्स वो मेरा न था
आँख खुलते ही हक़ीक़त खुल गई
दरमियान ए मा ओ तो परदा न था
ख़्वाब ही देखा किया दिन भर मगर
किस लिए तू रात भर सोया न था
कशमकश में ज़ीस्त की था कामराँ
जिसने अपना होसला खोया न था
उसकी आँखों को उम्मीद ए दीद थी
मर गए पर भी तो दम निकला न था
धंस गया जज़्बात की दलदल में क्यूँ
जिस का तन मैला था मन मैला न था
मैंने खोया और तूने पा लिया
ऐ रवि मुमकिन कभी ऐसा न था