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"ये तमाशा नहीं हुआ था कभी/ रविंदर कुमार सोनी" के अवतरणों में अंतर
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ये तमाशा नहीं हुआ था कभी | ये तमाशा नहीं हुआ था कभी | ||
है वो अपना, जो दूसरा था कभी | है वो अपना, जो दूसरा था कभी | ||
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अब वही जानता नहीं मुझको | अब वही जानता नहीं मुझको | ||
जिसे अपना मैं जानता था कभी | जिसे अपना मैं जानता था कभी | ||
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पास आकर भी क्यूँ है पज़मुर्दा | पास आकर भी क्यूँ है पज़मुर्दा | ||
दूर रह कर जो रो रहा था कभी | दूर रह कर जो रो रहा था कभी | ||
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वक़्त का हेर फेर है वर्ना | वक़्त का हेर फेर है वर्ना | ||
जो पुराना था वो नया था कभी | जो पुराना था वो नया था कभी | ||
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लग़ज़ीश ए पा ने कर दिया मजबूर | लग़ज़ीश ए पा ने कर दिया मजबूर | ||
मैं संभलता हुआ चला था कभी | मैं संभलता हुआ चला था कभी | ||
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घर के दिवार ओ दर से ही पूछें | घर के दिवार ओ दर से ही पूछें | ||
कौन आकर यहाँ रहा था कभी | कौन आकर यहाँ रहा था कभी | ||
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उतर आया हूँ शोर ओ शैवन पर | उतर आया हूँ शोर ओ शैवन पर | ||
ख़ामशी से न कुछ बना था कभी | ख़ामशी से न कुछ बना था कभी | ||
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भरता हूँ दम यगान्गी का तिरा | भरता हूँ दम यगान्गी का तिरा | ||
मुझ से बेगाना तू हुआ था कभी | मुझ से बेगाना तू हुआ था कभी | ||
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शेएर कहने लगा हूँ मैं भी रवि | शेएर कहने लगा हूँ मैं भी रवि | ||
मुझ से ऐसा नहीं हुआ था कभी | मुझ से ऐसा नहीं हुआ था कभी | ||
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16:06, 25 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
ये तमाशा नहीं हुआ था कभी
है वो अपना, जो दूसरा था कभी
अब वही जानता नहीं मुझको
जिसे अपना मैं जानता था कभी
पास आकर भी क्यूँ है पज़मुर्दा
दूर रह कर जो रो रहा था कभी
वक़्त का हेर फेर है वर्ना
जो पुराना था वो नया था कभी
लग़ज़ीश ए पा ने कर दिया मजबूर
मैं संभलता हुआ चला था कभी
घर के दिवार ओ दर से ही पूछें
कौन आकर यहाँ रहा था कभी
उतर आया हूँ शोर ओ शैवन पर
ख़ामशी से न कुछ बना था कभी
भरता हूँ दम यगान्गी का तिरा
मुझ से बेगाना तू हुआ था कभी
शेएर कहने लगा हूँ मैं भी रवि
मुझ से ऐसा नहीं हुआ था कभी