भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वो नूर जो ज़ुल्मत से जुदा हो नहीं सकता / रविंदर कुमार सोनी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रविंदर कुमार सोनी |संग्रह= }} {{KKCatGh...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
वो नूर जो ज़ुल्मत से जुदा हो नहीं सकता | वो नूर जो ज़ुल्मत से जुदा हो नहीं सकता | ||
जलते हुए सूरज में कभी खो नहीं सकता | जलते हुए सूरज में कभी खो नहीं सकता | ||
+ | |||
खोया हुआ हूँ अपने ख़यालात में, मुझ को | खोया हुआ हूँ अपने ख़यालात में, मुझ को | ||
दुनिया के नज़ारों का फ़सूँ खो नहीं सकता | दुनिया के नज़ारों का फ़सूँ खो नहीं सकता | ||
+ | |||
ईमान की ताईद करेगा कोई काफ़िर | ईमान की ताईद करेगा कोई काफ़िर | ||
हक़ बात कहेगा वो यक़ीं हो नहीं सकता | हक़ बात कहेगा वो यक़ीं हो नहीं सकता | ||
+ | |||
पत्थर को ख़ुदा जान के हम पूज रहे हैं | पत्थर को ख़ुदा जान के हम पूज रहे हैं | ||
पत्थर तो कभी अपना ख़ुदा हो नहीं सकता | पत्थर तो कभी अपना ख़ुदा हो नहीं सकता | ||
+ | |||
तूफ़ान सिमट जाते पिघल जाते हैं पत्थर | तूफ़ान सिमट जाते पिघल जाते हैं पत्थर | ||
हिम्मत हो जवाँ अपनी तो क्या हो नहीं सकता | हिम्मत हो जवाँ अपनी तो क्या हो नहीं सकता | ||
+ | |||
मैं गर्द हूँ सहरा ए मुहब्बत की, मुझे भी | मैं गर्द हूँ सहरा ए मुहब्बत की, मुझे भी | ||
बे वक़्त उड़ा देगी हवा हो नहीं सकता | बे वक़्त उड़ा देगी हवा हो नहीं सकता | ||
+ | |||
रहमत तो उसी बन्दे पे होती है ख़ुदा की | रहमत तो उसी बन्दे पे होती है ख़ुदा की | ||
अश्कों से जो दामान गुनाह धो नहीं सकता | अश्कों से जो दामान गुनाह धो नहीं सकता | ||
</poem> | </poem> |
16:11, 25 फ़रवरी 2012 का अवतरण
वो नूर जो ज़ुल्मत से जुदा हो नहीं सकता
जलते हुए सूरज में कभी खो नहीं सकता
खोया हुआ हूँ अपने ख़यालात में, मुझ को
दुनिया के नज़ारों का फ़सूँ खो नहीं सकता
ईमान की ताईद करेगा कोई काफ़िर
हक़ बात कहेगा वो यक़ीं हो नहीं सकता
पत्थर को ख़ुदा जान के हम पूज रहे हैं
पत्थर तो कभी अपना ख़ुदा हो नहीं सकता
तूफ़ान सिमट जाते पिघल जाते हैं पत्थर
हिम्मत हो जवाँ अपनी तो क्या हो नहीं सकता
मैं गर्द हूँ सहरा ए मुहब्बत की, मुझे भी
बे वक़्त उड़ा देगी हवा हो नहीं सकता
रहमत तो उसी बन्दे पे होती है ख़ुदा की
अश्कों से जो दामान गुनाह धो नहीं सकता