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"सूरज के हस्ताक्षर हैं / सोम ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

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19:35, 25 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण

कहने को तो हम आवारा स्वर हैं
इस वक़्त सुबह के आमंत्रण पर हैं
हम ले आए हैं बीज उजाले के
पहचानो, सूरज के हस्ताक्षर हैं

वह अपना ही मधुवंत कलेजा था
जो कुटियों में भी सत्य सहेजा था
जो प्यासे क्षण में तुम्हे मिला होगा
वह मेघदूत हमने ही भेजा था
उजली मंज़िल का परिचय पाने को
हम दिलगीरों से नज़र मिलाने को
माथे को ज़्यादा ऊंचा क्या करना
हम धरती पर ही बैठे अंबर हैं

ये साँसे ऐसी गंध संजोती हैं
जो सदियाँ हमसे चंदन होती हैं
वैसे तो हम सीपी में बंद रहे
लेकिन हम जन्म-जात ही मोती हैं
हम कालजयी ऐसी भाषा सीखे
जिस युग में दीखे आबदार ही दीखे
दूसरा और आकर न स्वीकारा
हम एक बूँद में सिमटे सागर हैं

हम राही अनदेखी राहों वाले
अमरौती तक लंबी बाँहों वाले
ज्वालामुखी की आग बता देगी
हम हैं कैसे अंतर्दाहों वाले
अपना तेवर मंगलाचरण का हैं
हम उठे समय का माथा ठनका है
अंधी उलझन के वक़्त चले आना
हम प्रश्न नही है, केवल उत्तर हैं