भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गाँव की समझी कभी क़ीमत नहीं .. / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{kkGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = ओमप्रकाश यती |संग्रह= }} {{KKcatGhazal}} <poem> ग...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:01, 26 फ़रवरी 2012 का अवतरण
गाँव की समझी कभी क़ीमत नहीं
रौशनी को शहर से फ़ुरसत नहीं
सत्य की ही जीत होगी अन्तत:
हर कोई इस बात से सहमत नहीं
क्या चुनावों का यही निष्कर्ष है ?
सज्जनों के साथ है जनमत नहीं
ठीक है वो लोग हैं भटके हुए
प्रेम है इसकी दवा, नफ़रत नहीं
हर ज़रूरत पर दुआएँ चाहिए
यूँ बुज़ुर्गों की भले इज़्ज़त नहीं