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"काँटे आए कभी गुलाब आए.. / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

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काँटे आए कभी गुलाब आए
 
काँटे आए कभी गुलाब आए
जो भी आए वो बेहिसाब आए  
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लेकिन आए तो बेहिसाब आए
  
रंग उड़ जाए उनके चेहरे का  
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रंग उड़ने लगा है चेहरे का
जब भी मेरी वफ़ा के बाब<ref>किस्से</ref> आए  
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जब भी मेरी वफ़ा के बाब<ref>किस्से</ref> आए
  
काम आए न कोई चतुराई
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काम आए न कोई चतुराई
ज़िंदगी में अगर अज़ाब आए  
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ज़िंदगी में अगर अज़ाब आए
  
 
दोस्त हो या मेरा वो दुश्मन हो
 
दोस्त हो या मेरा वो दुश्मन हो
सामने मेरे, बेनक़ाब आए  
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पास आए तो बेनक़ाब आए
  
घर की छत में दरार है “श्रद्धा”
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गिरनेवाली है घर की छत “श्रद्धा”
 
ऐसे आलम में कैसे ख़्वाब आए
 
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16:12, 26 फ़रवरी 2012 का अवतरण

काँटे आए कभी गुलाब आए
लेकिन आए तो बेहिसाब आए

रंग उड़ने लगा है चेहरे का
जब भी मेरी वफ़ा के बाब<ref>किस्से</ref> आए

काम आए न कोई चतुराई
ज़िंदगी में अगर अज़ाब आए

दोस्त हो या मेरा वो दुश्मन हो
पास आए तो बेनक़ाब आए

गिरनेवाली है घर की छत “श्रद्धा”
ऐसे आलम में कैसे ख़्वाब आए

शब्दार्थ
<references/>