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"अब खुले आँख-कान रहने दो / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर
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19:50, 27 फ़रवरी 2012 का अवतरण
अब खुले आँख-कान रहने दो
मुल्क को सावधान रहने दो
पाँव रक्खो ज़मीन पर लेकिन
ख़्वाब में आसमान रहने दो
चैन से लोग हैं यहाँ अब तो
अपने तीखे बयान रहने दो
तुम इन्हें अनसुना भले कर दो
इनके मुँह में ज़ुबान रहने दो
कल की बातों में कुछ नहीं रक्खा
सोच में वर्तमान रहने दो
शाइरी खुद बताएगी सब कुछ
आप अपना बखान रहने दो