भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मन में भाव बुरे लाने से आखिर क्या हो जाएगा / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{kkGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = ओमप्रकाश यती |संग्रह= }} {{KKcatGhazal}} <poem> म...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:24, 27 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण

साँचा:KkGlobal

साँचा:KKcatGhazal



मन में भाव बुरे लाने से आखिर क्या हो जाएगा
अच्छा-अच्छा सोचेंगे तो सब अच्छा हो जायेगा

तंगदिली तो छोड़ें, मन के खिड़की-रोशनदान खुलें
साधन मिल ही जायेंगे जब दिल दरिया हो जाएगा .

भाई ने भाई को मारा, बेटे-बाप बने दुश्मन
रिश्तों का धागा कैसे इतना कच्चा हो जाएगा

हरदम इसको ठोकर मारी,उसने कब ये सोचा था
सबसे ताक़तवर इक दिन ये ही पैसा हो जाएगा

उसके आ जाने भर से ही घर में इक उत्सव सा है
बेटी जब जाएगी, आँगन फिर सूना हो जाएगा