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"छिपे हैं मन में जो .. / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर
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छिपे हैं मन में जो भगवान से वो पाप डरते हैं | छिपे हैं मन में जो भगवान से वो पाप डरते हैं |
07:16, 28 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
छिपे हैं मन में जो भगवान से वो पाप डरते हैं
डराता वो नहीं है लोग अपने आप डरते हैं
यहाँ अब आधुनिक संगीत का ये हाल है यारो
बहुत उस्ताद भी भरते हुए आलाप डरते हैं
कहीं बैठा हुआ हो भय हमारे मन के अन्दर तो
सुनाई मित्र की भी दे अगर पदचाप ,डरते हैं
निकल जाती है अक्सर चीख जब डरते हैं सपनों में
हक़ीक़त में तो ये होता है हम चुपचाप डरते हैं
नतीजा देखिये उम्मीद के बढते दबावों का
उधर सन्तान डरती है इधर माँ-बाप डरते हैं