भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
extra cat removed
}}
{{KKCatGhazal}}
{{KKShayar}}
<poem>
दे गया कौन जाने मुझको ख़बर
रात आती है साथ ले के सहर
 
दिल मिरा मुज़्तरिब है तेरे बग़ैर
आके तू देख लेता एक नज़र
 
मेरे दामन की मैल धुल जाती
अश्क ए खूं गिरता आँख से बह कर
 
जो हक़ीक़त को ख़्वाब कहते हैं
लोग कहते हैं उनको अहल ए नज़र
 
छोड़ कर मुझ को दरमियान ए दश्त
क़ाफ़िला वक़्त का चला है किधर
 
दिल में जो दाग़ थे जुदाई के
हैं वही आसमाँ पे शम्स ओ क़मर
 
दश्त ओ गुलशन में क्या भटकती है
वो हवा जो चली थी हो के निडर
 
ऐ रवि दल की धडकनें हैं तेज़
कोई अब आसमाँ से कह दे ठहर
</poem>