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"मुर्गा हुआ हलाल / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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बाप पूत में बैर  
 
बाप पूत में बैर  
 
जिनको दूध पिलाया वो ही  
 
जिनको दूध पिलाया वो ही  
काट रहe हैं पैर  
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काट रहें हैं पैर  
 
आखिर ऐसे  ठंडे रिश्ते   
 
आखिर ऐसे  ठंडे रिश्ते   
 
कब तक ढोयें हम  
 
कब तक ढोयें हम  
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बोटी बोटी नुची देह की  
 
बोटी बोटी नुची देह की  
 
बची न तन पर खाल  
 
बची न तन पर खाल  
स्वाद दूसरो को देने  में  
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स्वाद दूसरों को देने  में  
 
मुर्गा हुआ हलाल  
 
मुर्गा हुआ हलाल  
ऐसे बेदर्दी पर कब तक  
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ऐसी बेदर्दी पर कब तक  
 
नैन भिगोयें हम   
 
नैन भिगोयें हम   
  
 
मुँह पर खुशहाली की बातें  
 
मुँह पर खुशहाली की बातें  
बाँसेां उछले दाम  
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बांसों उछले दाम  
नोन तेल लकडी गरीब का  
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नोन तेल लकड़ी गरीब का  
 
जीना किये हराम  
 
जीना किये हराम  
 
आसमान के नीचे  आखिर  
 
आसमान के नीचे  आखिर  
 
कब तक सोयें हम।
 
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20:59, 28 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण

मुर्गा हुआ हलाल

आँखों में चिंता के काँटे
कब तक बोयें हम

तीन कनौजी तेरह चूल्हे
बाप पूत में बैर
जिनको दूध पिलाया वो ही
काट रहें हैं पैर
आखिर ऐसे ठंडे रिश्ते
कब तक ढोयें हम

बोटी बोटी नुची देह की
बची न तन पर खाल
स्वाद दूसरों को देने में
मुर्गा हुआ हलाल
ऐसी बेदर्दी पर कब तक
नैन भिगोयें हम

मुँह पर खुशहाली की बातें
बांसों उछले दाम
नोन तेल लकड़ी गरीब का
जीना किये हराम
आसमान के नीचे आखिर
कब तक सोयें हम।