भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कर्म / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी | {{ }} {{KKCatRajasthan}} <poem> को कि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
को किसको दुःख देत है, कर्म देत  झकझौर,  
 
को किसको दुःख देत है, कर्म देत  झकझौर,  
 
उरझत सुरझत आप ही, ध्वजा पवन के लौर |   
 
उरझत सुरझत आप ही, ध्वजा पवन के लौर |   
ध्वजा पवन के लौर,  समज थोरी में सारी,  
+
ध्वजा पवन के लौर,  समझ  थोरी में सारी,  
 
कर्म  गति  बलवान, गति  है  न्यारी-न्यारी |
 
कर्म  गति  बलवान, गति  है  न्यारी-न्यारी |
 
संत समागम सुख है, सत संगत  शुभ  रंग,
 
संत समागम सुख है, सत संगत  शुभ  रंग,
पंक्ति 23: पंक्ति 23:
 
                         राम गुण गायारे ||
 
                         राम गुण गायारे ||
 
=====================================
 
=====================================
 +
कर्म ही से सुख भोग  मिले, सब कर्म ही से दुःख पावत नाना,
 +
कर्म ही स्वर्ग विमान  चढ़ावत, कर्म  ही  डारत  नरक निशाना |
 +
कर्म ही से जग में यश किरती, निंदित  कर्म  ही है  अपमाना,
 +
शिवदीन कहे नहीं आन को दोष, जो कर्म करे नर वह फल पाना | 
 +
=================================================
 +
कर्मन  के  आधीन  सकल  संसार  देख  रे,
 +
विधिना लिखे विचार  बांचले  सत्य  लेख  रे |
 +
ज्ञानी ध्यानी और नृपति बनि  रहे  करम  से, 
 +
चातुर मूरख लोग  दुखी  है  और  भरम  से |
 +
सन्यासी साधू लखे  भजन  करें  धरि  मौन,
 +
शिवदीन करम के बस सभी बचा हुआ यहाँ कौन |
 +
                          राम गुण गायारे ||

05:15, 1 मार्च 2012 का अवतरण

{{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी | {{ }}

को किसको दुःख देत है, कर्म देत झकझौर,
उरझत सुरझत आप ही, ध्वजा पवन के लौर |
ध्वजा पवन के लौर, समझ थोरी में सारी,
कर्म गति बलवान, गति है न्यारी-न्यारी |
संत समागम सुख है, सत संगत शुभ रंग,
शिवदीन सुकर्म ही कर चलो पावो प्रेम उमंग |
                       राम गुण गायारे ||
===================================
कर्म चढ़ावे स्वर्ग, कर्म नरकन में डारे,
कर्म धर्म बैकुंठ, कर्म ब्रह्मलोक सिधारे |
कर्म कर्म है कर्म, कर्म की गति गहन है,
कर्म करो शुभ कर्म, बने उज्वल जनमन है |
कर्म ही से कारुंस लगे, कर्म ही धोवत दाग,
शिवदीन कर्म गति समझ के उपजवों अनुराग |
                        राम गुण गायारे ||
=====================================
कर्म ही से सुख भोग मिले, सब कर्म ही से दुःख पावत नाना,
कर्म ही स्वर्ग विमान चढ़ावत, कर्म ही डारत नरक निशाना |
कर्म ही से जग में यश किरती, निंदित कर्म ही है अपमाना,
शिवदीन कहे नहीं आन को दोष, जो कर्म करे नर वह फल पाना |
=================================================
कर्मन के आधीन सकल संसार देख रे,
विधिना लिखे विचार बांचले सत्य लेख रे |
ज्ञानी ध्यानी और नृपति बनि रहे करम से,
चातुर मूरख लोग दुखी है और भरम से |
सन्यासी साधू लखे भजन करें धरि मौन,
शिवदीन करम के बस सभी बचा हुआ यहाँ कौन |
                           राम गुण गायारे ||