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"कृष्ण सुदामा चरित्र प्रस्तावना / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

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हिंदी में सुदामा चरितों की परंपरा मिलती है। [[नन्द दास]] के सुदामाचरित के बाद [[नरोत्तमदास]] का ही लेखन इस विषय पर मिलता है। [[नन्ददास]] का सुदामाचरित वह लोकप्रियता नहीं पा सका जो पन्द्रवहवीं सदी में 1582 संवत में [[नरोत्तमदास]] का काव्यमय सुदामाचरित पाने में सफल रहा। सुदामा चरित लिखने का सिलसिला इसके उपरांत भी जारी रहा और सुदामा चरित के यशस्वी लेखकों के रूप में [[आलम]] का नाम  भी आता है जिसने संवत 1623 में सुदामा चरित लिखा। इसी कडी में राजस्थान निवासी [[शिवदीन राम जोशी]] का नाम भी लिया जाता है। संक्षेप में अब तक सुदामा चरितों की संख्या निम्न प्रकार है
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हिंदी में सुदामा चरितों की परंपरा मिलती है। [[नंददास]] के सुदामाचरित के बाद [[नरोत्तमदास]] का ही लेखन इस विषय पर मिलता है। [[नंददास|नन्द दास]] का सुदामाचरित वह लोकप्रियता नहीं पा सका जो पन्द्रवहवीं सदी में 1582 संवत में [[नरोत्तमदास]] का काव्यमय सुदामाचरित पाने में सफल रहा। सुदामा चरित लिखने का सिलसिला इसके उपरांत भी जारी रहा और सुदामा चरित के यशस्वी लेखकों के रूप में [[आलम]] का नाम  भी आता है जिसने संवत 1623 में सुदामा चरित लिखा। इसी कडी में राजस्थान निवासी [[शिवदीन राम जोशी]] का नाम भी लिया जाता है। संक्षेप में अब तक सुदामा चरितों की संख्या निम्न प्रकार है
  
 
पन्द्रहवी सदी 1582 [[नरोत्तमदास]] रचित सुदामाचरित
 
पन्द्रहवी सदी 1582 [[नरोत्तमदास]] रचित सुदामाचरित

09:31, 5 मार्च 2012 का अवतरण

कितने सुदामा चरित?
 
हिंदी में सुदामा चरितों की परंपरा मिलती है। नंददास के सुदामाचरित के बाद नरोत्तमदास का ही लेखन इस विषय पर मिलता है। नन्द दास का सुदामाचरित वह लोकप्रियता नहीं पा सका जो पन्द्रवहवीं सदी में 1582 संवत में नरोत्तमदास का काव्यमय सुदामाचरित पाने में सफल रहा। सुदामा चरित लिखने का सिलसिला इसके उपरांत भी जारी रहा और सुदामा चरित के यशस्वी लेखकों के रूप में आलम का नाम भी आता है जिसने संवत 1623 में सुदामा चरित लिखा। इसी कडी में राजस्थान निवासी शिवदीन राम जोशी का नाम भी लिया जाता है। संक्षेप में अब तक सुदामा चरितों की संख्या निम्न प्रकार है

पन्द्रहवी सदी 1582 नरोत्तमदास रचित सुदामाचरित

सोलहवीं सदी 1623 आलम रचित सुदामा चरित

1731 कालीराम

माखन कवि रचित 18 वी शती विक्रम

बालकादास 1890

महाराजदास 1919

प्ंजाबी में डॉ मनमोहन सहगल ने उल्लेख किया है कि सुदामा चरित परंपरा से भिन्न अन्य कवियों ने भी सुदामा चरित्र शब्द का ही उपयोग किया है।