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"अफ़साना-ए-उल्फ़त है, इशारों से कहेंगे.. / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर
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हाँ अहद-ए-मोहब्बत इन्हीं चारों से कहेंगे | हाँ अहद-ए-मोहब्बत इन्हीं चारों से कहेंगे | ||
− | आगोश में आ जाए समंदर जो वफ़ा का | + | आगोश में आ जाए समंदर जो वफ़ा का |
− | + | हर लम्हे की रूदाद किनारों से कहेंगे | |
− | चेहरे से चुराओगे जो सुर्खी-ए-तब्ब्सुम | + | चेहरे से चुराओगे जो सुर्खी-ए-तब्ब्सुम |
− | + | हम हाल तुम्हारा भी बहारों से कहेंगे | |
आँखों में जो रोशन हैं, वफ़ा के कई जुगनू | आँखों में जो रोशन हैं, वफ़ा के कई जुगनू | ||
ज़ज़्बात ये “श्रद्धा” के, हज़ारों से कहेंगे | ज़ज़्बात ये “श्रद्धा” के, हज़ारों से कहेंगे | ||
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15:48, 12 मार्च 2012 का अवतरण
अफ़साना-ए-उल्फ़त है, इशारों से कहेंगे
तुम भी नहीं समझे तो सितारों से कहेंगे
हम सिद्क़-ओ-इबादत से कभी अज़्म-ओ-अदा से
हाँ अहद-ए-मोहब्बत इन्हीं चारों से कहेंगे
आगोश में आ जाए समंदर जो वफ़ा का
हर लम्हे की रूदाद किनारों से कहेंगे
चेहरे से चुराओगे जो सुर्खी-ए-तब्ब्सुम
हम हाल तुम्हारा भी बहारों से कहेंगे
आँखों में जो रोशन हैं, वफ़ा के कई जुगनू
ज़ज़्बात ये “श्रद्धा” के, हज़ारों से कहेंगे