भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सबसे बडा विधान / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
 
सबसे बड़ा विधान  
 
सबसे बड़ा विधान  
  
कहने के तो गाँव सभा का  
+
कहने को तो गाँव सभा का  
 
है ‘पुतरैहा’ ताल,  
 
है ‘पुतरैहा’ ताल,  
 
पर पंचों ने मिलकर डाला  
 
पर पंचों ने मिलकर डाला  
पंक्ति 19: पंक्ति 19:
  
 
राशन कार्ड बँटे घर घर पर  
 
राशन कार्ड बँटे घर घर पर  
बटा न शक्कर तेल,  
+
बटा न शक्कर,तेल,  
बड़े बड़ोउवा खेल रहे हैं  
+
बड़े बड़उवा खेल रहे हैं  
 
खुला ब्लैक का खेल,  
 
खुला ब्लैक का खेल,  
 
पक्के घर वालों ने पाया  
 
पक्के घर वालों ने पाया  
पंक्ति 29: पंक्ति 29:
 
मूँछों वाले घूम रहे हैं  
 
मूँछों वाले घूम रहे हैं  
 
कतल किये पच्चीस,  
 
कतल किये पच्चीस,  
ऊसर बंजर, चरागाह पर  
+
ऊसर,बंजर, चरागाह पर  
 
कब्जा किये प्रधान
 
कब्जा किये प्रधान
 
   
 
   

22:35, 13 मार्च 2012 के समय का अवतरण

सबसे बडा विधान

जिसकी लाठी भैंस उसी की
सबसे बड़ा विधान

कहने को तो गाँव सभा का
है ‘पुतरैहा’ ताल,
पर पंचों ने मिलकर डाला
उसमें मछली जाल,
‘होरी’ की बरिया के सूखे
बिन पानी सब धान।

राशन कार्ड बँटे घर घर पर
बटा न शक्कर,तेल,
बड़े बड़उवा खेल रहे हैं
खुला ब्लैक का खेल,
पक्के घर वालों ने पाया
राहत का अनुदान।

ककड़ीचोर बन्द थाने में
दफा लगीं दस बीस,
मूँछों वाले घूम रहे हैं
कतल किये पच्चीस,
ऊसर,बंजर, चरागाह पर
कब्जा किये प्रधान
 
जिसकी लाठी भैंस उसी की
सबसे बड़ा विधान