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"उजियारा भटक रहा / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
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22:51, 13 मार्च 2012 का अवतरण
उजियारा भटक रहा
जहाँ गया वहीं मिले
बहके उपदेश
उजियारा भटक रहा
अपने ही देश
प्रतिभाएँ मोल बिकीं
कौड़ी की तीन,
आँखों पर दौलत के
चश्में रंगीन
गंगा तक श्याम हुई
बदला परिवेश
झूठों को मानपत्र
सच्चों की जाँच
नियमों को निगल गयी
रिश्वत की आँच
वादे परिवर्तन के
थोथे निर्देश
यहाँ वहाँ घूम रहे
बादल मुँहजोर
प्यास लिये गाँव चले
शहरों की ओर
चन्दन की पाटी पर
दहके सन्देश
उजियारा भटक रहा
अपने ही देश