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"अपना गम लेके कहीं और न जाया जाए / निदा फाज़ली" के अवतरणों में अंतर

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23:44, 17 मार्च 2012 का अवतरण

अपना गम लेके कहीं और न जाया जाए

घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए


जिन चिरागों को हवाओं का कोई खौफ़ नहीं

उन चिरागों को हवाओं से बचाया जाए


बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं

किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए


ख़ुदकुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में

और कुछ दिन अभी औरों को सताया जाए


घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें

किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए