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"क्या कहे सुलेखा ! / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
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किससे अब | किससे अब | ||
− | क्या कहे सुलेखा | + | क्या कहे सुलेखा |
खनन माफ़िया | खनन माफ़िया | ||
− | + | मिल कर लूटे | |
− | + | बाझ, कबूतर | |
− | + | पर ज्यों टूटे | |
− | + | मेट रहे | |
− | कुदरत का लेखा | + | कुदरत का लेखा |
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− | + | छविया भोली | |
धरा-दबोचा | धरा-दबोचा | ||
− | + | एक व्यवस्था ने | |
− | + | मिल नोंचा | |
− | + | पेपर में | |
− | दुनिया ने देखा | + | दुनिया ने देखा |
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− | दुस्साहस | + | दुस्साहस |
क्रशरों का बढ़ता | क्रशरों का बढ़ता | ||
चट्टानों से | चट्टानों से | ||
चूना झड़ता | चूना झड़ता | ||
− | + | मिटी हीर की | |
− | + | जीवन रेखा | |
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08:12, 18 मार्च 2012 के समय का अवतरण
किससे अब
क्या कहे सुलेखा
खनन माफ़िया
मिल कर लूटे
बाझ, कबूतर
पर ज्यों टूटे
मेट रहे
कुदरत का लेखा
छविया भोली
धरा-दबोचा
एक व्यवस्था ने
मिल नोंचा
पेपर में
दुनिया ने देखा
दुस्साहस
क्रशरों का बढ़ता
चट्टानों से
चूना झड़ता
मिटी हीर की
जीवन रेखा