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"बदला अपना लाल / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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हाथ में कंघी
 
हाथ में कंघी
 
काढ़े अपने बाल
 
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बोलो साधो  
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बोलो, साधो  
ऐसे कैसे  
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बदला अपना लाल!
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बदला अपना लाल
  
कब जगना
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कब उसका सोना
 
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पकड़ बैठता
 
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संकेतों में
 
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पूछा करता
 
पूछा करता
जाने किसका हाल!
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कभी भाँग-सी
 
कभी भाँग-सी
खाए रहता
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खाये रहता
 
कुछ पूछो तो
 
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कुछ है कहता
 
कुछ है कहता
  
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पगडंडी पर
 
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डगमग उसकी चाल!
 
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तकली में अब
 
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लगी रुई है
 
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चलती जाती
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कात रही है
 
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एक लड़ी भी
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कबिरा-सा
बनी सही ना
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बुनकर बनने में
बीत गया है साल!
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लगते कितने साल  
 
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13:37, 18 मार्च 2012 के समय का अवतरण

पल-पल शीशा
हाथ में कंघी
काढ़े अपने बाल
बोलो, साधो
ऐसे कैसे
बदला अपना लाल

कब जगना
कब उसका सोना
पकड़ बैठता
छत का कोना

संकेतों में
पूछा करता
जाने किसका हाल

कभी भाँग-सी
खाये रहता
कुछ पूछो तो
कुछ है कहता

सीधी-सीधी
पगडंडी पर
डगमग उसकी चाल!

तकली में अब
लगी रुई है
कात रही है
समय सुई है

कबिरा-सा
बुनकर बनने में
लगते कितने साल