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"बरसाने की होली में / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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<Poem>लाल-गुलाबी बजीं तालियाँ
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लाल-गुलाबी  
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बजीं तालियाँ
 
बरसाने की होली में
 
बरसाने की होली में
  
बजे नगाड़े ढम-ढम-ढम-ढम
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बजे नगाड़े  
चूड़ी खन-खन, पायल छम-छम
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ढम-ढम-ढम-ढम
सिर-टोपी पर भँजीं लाठियाँ
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चूड़ी खन-खन,  
ठुमके ग्वाले तक-धिन-तक-धिन
+
पायल छम-छम
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सिर-टोपी पर  
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भँजीं लाठियाँ
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ठुमके ग्वाले  
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तक-धिन-तक-धिन
  
ब्रजवासिन की सुनें गालियाँ
+
ब्रजवासिन की  
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सुनें गालियाँ
 
ब्रज की मीठी बोली में
 
ब्रज की मीठी बोली में
  
मिलें-मिलायें गोरे-काले
+
मिलें-मिलायें  
मौज उड़ायें देखन वाले
+
गोरे-काले
तस्वीरों में जड़ते जायें
+
मौज उड़ायें  
मन लहराये-फगुनाये दिन
+
देखन वाले
 +
तस्वीरों में  
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जड़ते जायें
 +
मन लहराये-
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फगुनाये दिन
  
प्रेम बहा सब तोड़ जालियाँ
+
प्रेम बहा  
 +
सब तोड़ जालियाँ
 
दिलवालों की टोली में
 
दिलवालों की टोली में
  
चटक हुआ रंग फुलवारी का
+
चटक हुआ रंग  
फसलों की हरियल साड़ी का
+
फुलवारी का
पक जाने पर भइया, दाने
+
फसलों की  
घर आयेंगे खेतों से बिन
+
हरियल साड़ी का
 +
पक जाने पर  
 +
भइया, दाने
 +
घर आयेंगे  
 +
खेतों से बिन
  
गदरायीं हैं अभी बालियाँ
+
गदरायीं हैं  
 +
अभी बालियाँ
 
बैठीं अपनी डोली में
 
बैठीं अपनी डोली में
 
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13:41, 18 मार्च 2012 के समय का अवतरण

लाल-गुलाबी
बजीं तालियाँ
बरसाने की होली में

बजे नगाड़े
ढम-ढम-ढम-ढम
चूड़ी खन-खन,
पायल छम-छम
सिर-टोपी पर
भँजीं लाठियाँ
ठुमके ग्वाले
तक-धिन-तक-धिन

ब्रजवासिन की
सुनें गालियाँ
ब्रज की मीठी बोली में

मिलें-मिलायें
गोरे-काले
मौज उड़ायें
देखन वाले
तस्वीरों में
जड़ते जायें
मन लहराये-
फगुनाये दिन

प्रेम बहा
सब तोड़ जालियाँ
दिलवालों की टोली में

चटक हुआ रंग
फुलवारी का
फसलों की
हरियल साड़ी का
पक जाने पर
भइया, दाने
घर आयेंगे
खेतों से बिन

गदरायीं हैं
अभी बालियाँ
बैठीं अपनी डोली में