भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"एक आदिम नाच / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान |संग्रह= }} {{KKCatNavgeet}} <Po...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:59, 18 मार्च 2012 के समय का अवतरण

आज मुझमें
बज रहा
जो तार है
वो मैं नहीं-
आसावरी तू

एक स्मित रेख तेरी
आ बसी
जब से दृगों में
हर दिशा तू ही दिखे है
बाग़- वृक्षों में-
खगों में

दर्पणों के सामने
जो बिम्ब हूँ
वो मैं नहीं-
कादम्बरी तू

सूर्यमुखभा, कैथवक्षा!
नाभिगूढा!
कटिकमानी
वींध जाते ह्रदय मेरा
मौन इनकी
दग्ध वाणी

नाचता हूँ
एक आदिम
नाच जो
वो मैं नहीं-
है बावरी तू