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"धूप आँगने आई / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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तोते मोटे  
 
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दृश्य लगे सुखदाई
  
 
महकीं गलियाँ  
 
महकीं गलियाँ  

13:21, 19 मार्च 2012 के समय का अवतरण

डूबा था इकतारा
मन में
जाने कब से
चाह रहा था
खुलना-खिलना
अपने ढब से
दी झनकार सुनाई

खुलीं खिड़कियाँ
दरवाज़े
जागे परकोटे
चिड़ियाँ छोटीं
तोते मोटे
मिलकर लोटे
दृश्य लगे सुखदाई

महकीं गलियाँ
चहकीं सड़कें
गाजे-बाजे
लोग घरों से
आये बाहर
बनकर राजे
गूँजी फिर शहनाई