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"नर्म अहसासों के साथ क्रान्ति की आवाज / मजाज़ लखनवी" के अवतरणों में अंतर

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('मजाज लखनवी इश्क का जौके-नजारा मुफ्त को बदनाम है, हु...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
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(1)
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इश्क का जौके-नजारा<sup>1</sup> मुफ्त को बदनाम है,
 
हुस्न खुद बेताब है जलवा दिखाने के लिए।
 
हुस्न खुद बेताब है जलवा दिखाने के लिए।
 
1.जौके-नजारा - देखने का शौक
 
 
   
 
   
 
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कहते हैं मौत से बदतर है इन्तिजार,
 
कहते हैं मौत से बदतर है इन्तिजार,
 
मेरी तमाम उम्र कटी इन्तिजार में।
 
मेरी तमाम उम्र कटी इन्तिजार में।
 
   
 
   
 
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कुछ तुम्हारी निगाह काफिर थी,
 
कुछ तुम्हारी निगाह काफिर थी,
 
कुछ मुझे भी खराब होना था।
 
कुछ मुझे भी खराब होना था।
 
   
 
   
 
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(4)
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खिजां के लूट से बर्बादिए-चमन तो हुई,
 
खिजां के लूट से बर्बादिए-चमन तो हुई,
यकीन आमादे -फस्ले-बहार कम न हुआ।
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यकीन आमादे -फस्ले-बहार<sup>2</sup> कम न हुआ।
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1.आमादे-फस्ले-बहार - वसन्त ऋतु का आगमन
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मुझको यह आरजू है वह उठाएं नकाब<sup>3</sup> खुद,
 
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उनकी यह इल्तिजा<sup>4</sup> तकाजा<sup>5</sup> करे कोई।
मुझको यह आरजू है वह उठाएं नकाब खुद,
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उनकी यह इल्तिजा तकाजा करे कोई।
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1.जौके-नजारा - देखने का शौक
 
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2.आमादे-फस्ले-बहार - वसन्त ऋतु का आगमन
1.नकाब - घूँघट, मुखावरण, मुखपट 2.इल्तिजा - प्रार्थना, दरखास्त
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3.नकाब - घूँघट, मुखावरण, मुखपट 4.इल्तिजा - प्रार्थना, दरखास्त
3.तकाजा - माँग, फर्माइश
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5.तकाजा - माँग, फर्माइश
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बहुत मुश्किल है दुनिया का संवरना,
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तेरी जुल्फों का कोई पेचोखम नहीं है।
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1. पेचोखम - (i) टेढ़-मेढ़, चक्कर, जटिलता (ii) ऊंच-नीच
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हाय वह वक्त कि बेपिये बेहोशी थी,
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हाय यह वक्त कि पीकर भी मख्मूर नहीं।
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1. मख्मूर - नशे में चूर, उन्मत्त, मदोन्मत्त
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19:53, 21 मार्च 2012 के समय का अवतरण

(1)
इश्क का जौके-नजारा1 मुफ्त को बदनाम है,
हुस्न खुद बेताब है जलवा दिखाने के लिए।
 
(2)
कहते हैं मौत से बदतर है इन्तिजार,
मेरी तमाम उम्र कटी इन्तिजार में।
 
(3)
कुछ तुम्हारी निगाह काफिर थी,
कुछ मुझे भी खराब होना था।
 
(4)
खिजां के लूट से बर्बादिए-चमन तो हुई,
यकीन आमादे -फस्ले-बहार2 कम न हुआ।
(5)

मुझको यह आरजू है वह उठाएं नकाब3 खुद,
उनकी यह इल्तिजा4 तकाजा5 करे कोई।

1.जौके-नजारा - देखने का शौक 2.आमादे-फस्ले-बहार - वसन्त ऋतु का आगमन 3.नकाब - घूँघट, मुखावरण, मुखपट 4.इल्तिजा - प्रार्थना, दरखास्त 5.तकाजा - माँग, फर्माइश