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"कुंआं / सुदर्शन प्रियदर्शिनी" के अवतरणों में अंतर

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उलीच उलीच कर  
 
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मैंने एक दिन  
 
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खाली कर  
 
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दिया था कुंआं --
 
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लगता था  
 
लगता था  
 
 
अब कुछ  
 
अब कुछ  
 
 
उभर कर  
 
उभर कर  
 
 
न आएगा -
 
न आएगा -
 
 
खाली- बाल्टी  
 
खाली- बाल्टी  
 
 
खाली घडा  
 
खाली घडा  
 
 
ऊपर आएगा ...
 
ऊपर आएगा ...
 
 
पर देखा  
 
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रोज शतदल की  
 
रोज शतदल की  
 
 
नाक की तरह  
 
नाक की तरह  
 
 
उल्टा -दीख कर भी  
 
उल्टा -दीख कर भी  
 
 
घडा  
 
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सीधा  -सीधा  
 
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फिर भर कर  
 
फिर भर कर  
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उभर आता है ....
  
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12:10, 25 मार्च 2012 के समय का अवतरण


उलीच उलीच कर
मैंने एक दिन
खाली कर
दिया था कुंआं --
लगता था
अब कुछ
उभर कर
न आएगा -
खाली- बाल्टी
खाली घडा
ऊपर आएगा ...
पर देखा
रोज शतदल की
नाक की तरह
उल्टा -दीख कर भी
घडा
सीधा  -सीधा
फिर भर कर
उभर आता है ....