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"ईश्वर / पुष्पेन्द्र फाल्गुन" के अवतरणों में अंतर

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दौड़ते हुए लोगों की आकांक्षा
 
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दौड़ने के ख्वाहिशमंदों के लिए एक आकर्षण
 
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जो दौड़ न पाए
 
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उनके लिए तर्क-वितर्क
 
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दौड़ते-दौड़ते गिर गए जो
 
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असल में ईश्वर
 
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उपन्यास का एक ऐसा पात्र
 
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जिसके अस्तित्व पर है
 
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13:39, 25 मार्च 2012 के समय का अवतरण


दौड़ते हुए लोगों की आकांक्षा
दौड़ने के ख्वाहिशमंदों के लिए एक आकर्षण
दौड़कर थके और पस्त हुए लोगों के लिए होमियोपैथिक दवा

जो दौड़ न पाए
उनके लिए तर्क-वितर्क

दौड़ते-दौड़ते गिर गए जो
उनके लिए प्यास

जिसने अभी चलना नहीं सीखा
उसके लिए जरूरी पाठ्यक्रम

असल में ईश्वर
उपन्यास का एक ऐसा पात्र

जिसके अस्तित्व पर है
लेखक का सर्वाधिकार...