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"आदिवासी (3) / राकेश कुमार पालीवाल" के अवतरणों में अंतर
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अंटार्कटिका की आदिम बर्फ पिघलने मे
इनका कोई हाथ नहीं
न ही ये शरीक हैं उन बदमाशियों मे
जिनकी वजह से छेद हुआ है
आकाश की बेशकीमती ओजोन परत मे
इन्होंने नहीं उजाडा हरा भरा जंगल
इन्होंने गदली नहीं होने दी
जंगल से बहती नदियों की अमृत धार
इन्होंने नही मारे शेर भालू बाघ तेंदुए
इन्होंने नही किया ऐसा कोई कुकर्म
जिससे खतरे मे पडे यह धरती
और इस धरती का जीवन
जब कभी भी लिखा जायेगा
सुंदर धरती उजाडने वाले
खूंखार राक्षशों का इतिहास
इस आदि भूमि से
एक भी आदमी का नाम नही होगा
इतिहास की उस काली किताब मे
