भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बीज / इमरोज़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=पंजाबी के कवि |संग्रह=आज की पंजाबी कविता / सम्...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKAnooditRachna
 
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=पंजाबी के कवि
+
|रचनाकार=इमरोज़
 
|संग्रह=आज की पंजाबी कविता / सम्पादक-सुभाष नीरव
 
|संग्रह=आज की पंजाबी कविता / सम्पादक-सुभाष नीरव
 
}}
 
}}

20:31, 30 मार्च 2012 का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: इमरोज़  » संग्रह: आज की पंजाबी कविता
»  बीज


एक ज़माने से
तेरी ज़िन्दगी के दरख़्त
कविता को
तेरे साथ रहकर
देखा है
फूलते, फलते और फैलते…
और जब
तेरी ज़िन्दगी का दरख़्त
बीज बनना शुरू हो गया
मेरे अन्दर जैसे
कविता की पत्तियाँ
फूटने लगीं
और जिस दिन
तेरी ज़िन्दगी का दरख़्त बीज बन गया
उस रात इक कविता ने
मुझे बुलाकर अपने पास बिठाया
और अपना नाम बताया

अमृता-
जो दरख़्त से बीज बन गई

मैं काग़ज़ लेकर आया
वह कागज़ पर अक्षर-अक्षर हो गई

अब कविता अक्सर आने लगी है
तेरी शक्ल में तेरी ही तरह मुझे देखती
और कुछ समय मेरे संग हमकलाम होकर
मेरे अन्दर ही कहीं गुम हो जाती है…

मूल पंजाबी से अनुवाद : सुभाष नीरव