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मेरे लिए ज़िन्दगी एक खेल है अपने बैट से ज़िन्दगी को ख़ूबसूरती से खेलता रहता हूँ...
आर्ट्स स्कूल के बाद ज़िन्दगी के स्कूल में भी रंगों से खेलना जारी रहा --कभी सिनेमा के बैनरों के रंगों से कभी फिल्मों के पोस्टरों के रंगों से खेल चलता रहा...
एक दौर कैलीग्राफी का भी आयाउर्दू आया उर्दू के 'शमा' मैगजीन में कोई छः साल मैं अपनी तरह की कैलीग्राफी करता रहा रंगों में भी खेल जारी रहा ज्यादातर पेंटिंग बनी-ख़ास तरह के टेक्सटाइल के डिजाईन भी बने और घड़ियों के नए-नए डायल भी --और ज़िन्दगी कमाने के लिए बुक कव रस रंगों से खेलते-खेलते ज़िन्दगी चलती रही है
एक उम्र शायरा अमृता के साथ मुहब्बत और आजादी का सत्संगसारी ज़िन्दगी ने देखा और जब अमृता पेड़ से बीज बन गई तो एक नया मौसम आ गया अनलिखी नज्मों को लिखने का मौसम--जो मैं अब लिख रहा हूँ ....
और आखिर में [[रश्मिप्रभारश्मि प्रभा]] से यूँ कहते हुए-
कई सवाल होंगे जो अभी पूछे नहीं पर वो ज़िन्दगी में हैं कई शक्लों में