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"सबब / उत्‍तमराव क्षीरसागर" के अवतरणों में अंतर

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आज़ाद औरतें जानती हैं
कि
वाक़ई कि‍तनी आज़ाद हैं वे

वे जानती हैं अपने जि‍स्‍म और रूह के दरमि‍यान
भटकते-फटकते शरारती फौवारें

उन्‍हें मालूम है उनके तन और मन के बीच
आज़ादी की कि‍तनी पतली धार है

फासलों की बात अगर छोड भी दें तो
वे जानती हैं बातों के छूट जाने का सबब