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"खामोश यूं खड़े है शजर रहगुज़र के बीच / ‘अना’ क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
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− | + | ख़ामोश यूँ खड़े हैं शजर रहगुज़र के बीच | |
− | + | जैसे के मुन्तज़िर हो कोई बामो-दर के बीच | |
− | + | सौ हादसे टले हैं अगर से मगर के बीच | |
− | + | तब रास्ता खुला है नज़र से नज़र के बीच | |
− | + | बच्चे मिरे बबूल के साये तले पले | |
− | + | रखते नहीं हैं फ़र्क़ वो ख़ारो-समर1 के बीच | |
− | + | उतने ही मेरे अजमो-यक़ीं के हैं मरहले | |
− | + | जितनी कि ज़िन्दगी है दुआ-ओ-असर के बीच | |
− | + | शब चाँदनी थी छत पे खड़ी मेरी मुन्तज़िर | |
− | + | घुलता रहा बदन मिरा शामो-सहर के बीच | |
− | + | अल्फ़ाज़ जेरे-लब ही सिसक कर के रह गये | |
− | + | आवाज़ उसकी डूब गयी चश्मे-तर के बीच | |
− | + | तुझको ‘अना’ ये अ़ज़्म फ़ना कर न दे कहीं | |
− | + | पतवार के बग़ैर कहाँ इस भँवर के बीच | |
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16:52, 10 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
शब्दार्थ
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