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प्ंजाबी में डॉ [[मनमोहन सहगल]] ने उल्लेख किया है कि सुदामा चरित परंपरा से भिन्न अन्य कवियों ने भी सुदामा चरित्र शब्द का ही उपयोग किया है। | प्ंजाबी में डॉ [[मनमोहन सहगल]] ने उल्लेख किया है कि सुदामा चरित परंपरा से भिन्न अन्य कवियों ने भी सुदामा चरित्र शब्द का ही उपयोग किया है। | ||
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कितने सुदामा चरित?
हिंदी में सुदामा चरितों की परंपरा मिलती है। नंददास के सुदामाचरित के बाद नरोत्तमदास का ही लेखन इस विषय पर मिलता है। नन्द दास का सुदामाचरित वह लोकप्रियता नहीं पा सका जो पन्द्रवहवीं सदी में 1582 संवत में नरोत्तमदास का काव्यमय सुदामाचरित पाने में सफल रहा। सुदामा चरित लिखने का सिलसिला इसके उपरांत भी जारी रहा और सुदामा चरित के यशस्वी लेखकों के रूप में आलम का नाम भी आता है जिसने संवत 1623 में सुदामा चरित लिखा। इसी कडी में राजस्थान निवासी शिवदीन राम जोशी का नाम भी लिया जाता है। संक्षेप में अब तक सुदामा चरितों की संख्या निम्न प्रकार है
- पन्द्रहवी सदी 1582 नरोत्तमदास रचित सुदामाचरित
- सोलहवीं सदी 1623 आलम रचित सुदामा चरित
- 1731 कालीराम
- माखन कवि रचित 18 वी शती विक्रम
- बालकादास 1890
- महाराजदास 1919
- शिवदीन राम जोशी 1957(लगभग)
प्ंजाबी में डॉ मनमोहन सहगल ने उल्लेख किया है कि सुदामा चरित परंपरा से भिन्न अन्य कवियों ने भी सुदामा चरित्र शब्द का ही उपयोग किया है।