भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ट्रेवल एजेंसी / दुन्या मिखाईल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=दुन्या मिखाईल |संग्रह= }} [[Category:अर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:09, 12 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: दुन्या मिखाईल  » ट्रेवल एजेंसी

सैलानियों का ढेर लगा है मेज पर.
कल उड़ान भरेंगे उनके हवाई जहाज
एक रुपहली बिंदी लगाएंगे आसमान में
और शहरों पर उतरेंगे सांझ की तरह.
 श्रीमान जार्ज का कहना है कि उनकी प्रेमिका
अब मुस्कराती नहीं उन्हें देखकर.
वह सीधे रोम तक का सफ़र तय करना चाहते हैं
वहां, उसकी मुस्कराहट जैसी एक कब्र खोदने के लिए.
"लेकिन सारी सड़कें रोम तक नहीं जातीं," मैं उन्हें याद दिलाती हूँ,
और उन्हें एक टिकट सौंपती हूँ.
वह खिड़की के पास बैठना चाहते हैं
आश्वस्त होने के लिए
कि एक ही जैसा है आसमान
हर जगह.
 
अनुवाद : मनोज पटेल