भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हाइकु 21-24 / सरस्वती माथुर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरस्वती माथुर }} Category:हाइकु <poem> 21 भूल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(पन्ने को खाली किया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{KKGlobal}}
+
 
{{KKRachna
+
|रचनाकार=सरस्वती माथुर
+
}}
+
[[Category:हाइकु]]
+
<poem>
+
21
+
भूली सी यादें
+
दिल की किताब में
+
पीले पन्ने -सी
+
22
+
कच्चे ख्वाब- सा
+
आता -ज़ाता मौसम
+
धूप -छाँव- सा
+
23
+
भूरी पत्तियां
+
पतझर लायी है
+
पेड ठगा -सा
+
24
+
झरना बहा
+
पहाड़ी पगडंडी
+
फैला नदी सा
+
25
+
प्रवासी पक्षी
+
ठंडी झील में आये
+
मौसम बदला
+
26
+
हाथ हिलाता
+
चौखट पर सूर्य
+
जागी चिड़िया
+
27
+
पीले से पात
+
ऋतु के द्वार पे
+
रुका बसंत
+
28
+
झाँकते तारे
+
नभ के कँगूरे से
+
टॉर्च फेंकते
+
29
+
बंद मुट्ठी से
+
अनमने रिश्ते हैं
+
खुलते नहीं
+
30
+
मेहँदी लगी
+
साँझ- हथेली पर
+
रंग ले आई 
+
  31
+
तारों की रात
+
अमावस की बेला
+
भीगी रजनी
+
  32 
+
कोयला दिन
+
अँगीठी  में सुलगा
+
राख़ हो गया ।
+
33
+
खुली मुंडेर
+
ऋतु से बतियाता
+
अमलतास
+
34
+
धूप -लहरें
+
माणिक बरसाता
+
गुलमोहर
+
35
+
श्वेत चूड़ियाँ
+
भरके कलाइयाँ
+
सजी शेफाली
+
36
+
सूरजमुखी
+
पौधे के झरोखे से
+
सूर्य निहारे
+
37
+
हवा में घुल
+
गुलाब के फूल भी
+
'खुशबू बने
+
38
+
मोगरे दाने
+
चुनता हवा पाखी
+
चोंच मारके
+
39
+
उनींदा दिन
+
सफ़ेद गुलाब से
+
रंग ले भागा
+
40
+
हवा तितली
+
मोगरे का रस पी
+
गंध ले उडी 
+
41                                                                       
+
खोल सी गयी
+
सूरजमुखी धूप
+
सूर्य की आँखें 
+
42
+
कच्चे घड़े से
+
पारिजात टूटे  थे
+
पाखी से उड़े
+
23
+
चाँदनी आई
+
शेफाली को ओढ़ाई
+
श्वेत चूनर
+
24
+
सफ़ेद चोला
+
ओढ़ हरसिंगार
+
खिला महका
+
-0-
+
</poem>
+

13:58, 16 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण