}}
*[[चन्दनमन (भूमिका) / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'|चन्दनमन में रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' की रचनाएँ ]]
डॉ अर्पिता अग्रवाल के अनुसार * [[हाइकु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु के हाइकु मानवीय और प्राकृतिक प्रेम के उच्छल प्रयास हैं. खिलखिलाए पहाड़ी नदी जैसी मेरी मुनिया’‘-(पृष्ठ-77)तुतली बोली आरती में किसी ने मिसरी घोली .(पृष्ठ-77)'हिमांशु']]