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धीरे धीरे क्षमाभाव समाप्त हो जाएगा
प्रेम की आकांक्षा तो होगी मगर जरूरत न रह जाएगी
झर जाएगी पाने की बेचैनी और खो देने की पीड़ा
क्रोध अकेला न होगा वह संगठित हो जाएगा
एक अनंत प्रतियोगिता होगी जिसमें लोग
पराजित न होने के लिए नहीं
अपनी श्रेष्ठता के लिए युद्धरत होंगे
तब आएगी क्रूरता
पहले ह्रदय हृदय में आएगी और चेहरे पर न दिखेगीदीखेगीफिर घटित होगी धर्मग्रंथो धर्मग्रंथों की ब्याख्या व्याख्या मेंफिर इतिहास में औरफिर भविष्यवाणियों में
फिर वह जनता का आदर्श हो जाएगी
और अधिक ऐतिहासिक हो
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