भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हैरॉल्ड पिंटर / परिचय

136 bytes removed, 02:44, 20 अप्रैल 2012
{{KKRachnakaarParichay|रचनाकार=हैरॉल्ड पिंटर}}हैरॉल्ड पिंटर नाटककार और कवि के रूप में लोकप्रिय हैं। उनके कई नाटकों के पूरी दुनिया में अनगिनत मंचन हुए हैं और उनकी लिखी पटकथाओं पर बनी फिल्में भी ख़ासी कामयाब हैं। पिंटर को नोबेल समेत पश्चिम के अनेक [[प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार ]] मिले हैं और उनका [[नोबेल पुरस्कार ]] व्याख्यान साम्राज्यवाद के प्रतिकार के मॉडल की तरह सुना, पढ़ा और समझा गया है। पिंटर हमारे लिए एक ऐसे सर्जक के तौर पर सामने आते हैं जिसके लिए राजनीति और कला अलग-अलग चीजें नहीं हैं। उन्होंने अमेरिकी ज़्यादतियों की मीमांसा की हरेक संभावना का कला और सच्चाई के हक़ में इस्तेमाल कर अप्रत्याशित संरचनाएँ संभव की हैं। पिंटर के यहां गद्य और कविता, नाटक और व्याख्यान, यात्रावृत्त और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को लिखी गई चिट्ठी में ज़्यादा फ़र्क नहीं है।
शायद मनुष्यता के काम आने वाली रचना हर बार विधागत घेरेबंदी के बाहर चली जाती है। उनकी नीले रंग के कवर वाली गद्यपद्यमय किताब ‘वैरियस ‘'''वैरियस वायसेज़: प्रोज, पोएट्री, पॉलिटिक्स 1948-2005’ ''' इस धारणा का अद्वितीय प्रमाण है जिसे पढ़ते हुए रघुवीर सहाय की ऐसी ही पुस्तक ‘सीढ़ियों पर धूप में’ लगातार याद आती है। ज़ाहिर है कि ये दोनों कृतियाँ यह कृति साहित्य, कला, विचार और संघर्ष के सुविधामूलक, शरारती, प्रवंचक और प्राध्यापकीय द्वैतों का अतिक्रमण करती हुई आती हैं। है। [[हैरॉल्ड पिंटर ]] की कविताओं में साम्राज्यवादी उतपातउत्पात, दमन और फरेब को लेकर गहरी नफरत नफ़रत है जिसे अपने विलक्षण कौशल से वे अलग-अलग शक्लों में ढाल लेते हैं। इराक और दूसरे इस्लामी देशों के साथ हुए जघन्य दुष्कृत्यों का बयान करती उनकी कविताएं कविताएँ किसी अतियथार्थवादी फिल्म की तरह देखी भी जा सकती हैं।
Mover, Reupload, Uploader
7,916
edits