भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बहन की बिदाई / कमलेश्वर साहू" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश्वर साहू |संग्रह=किताब से निक...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:37, 26 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण


पिता के गुलशन का फूल
जिसे तोड़कर ले जा रहा है वह
हमारी अपनी मर्जी से
हम खुश हैं
रो रही हैं हमारी आखें
हम बिछड़ रहे हैं
और साथ हैं तुम्हारे
पास हैं तुम्हारे !