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"बहन की बिदाई / कमलेश्वर साहू" के अवतरणों में अंतर
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पिता के गुलशन का फूल
जिसे तोड़कर ले जा रहा है वह
हमारी अपनी मर्जी से
हम खुश हैं
रो रही हैं हमारी आखें
हम बिछड़ रहे हैं
और साथ हैं तुम्हारे
पास हैं तुम्हारे !