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"अपने होने का सुबूत / कृष्ण बिहारी 'नूर'" के अवतरणों में अंतर
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− | नशे में डूबे कोई, कोई जिए, कोई मरे | + | अपने होने का सुबूत और निशाँ छोड़ती है |
− | तीर क्या क्या तेरी आँखों की कमाँ छोड़ती है | + | रास्ता कोई नदी यूँ ही कहाँ छोड़ती है |
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+ | नशे में डूबे कोई, कोई जिए, कोई मरे | ||
+ | तीर क्या क्या तेरी आँखों की कमाँ छोड़ती है | ||
बंद आँखों को नज़र आती है जाग उठती हैं | बंद आँखों को नज़र आती है जाग उठती हैं | ||
− | रौशनी एसी हर आवाज़-ए-अज़ाँ छोड़ती है | + | रौशनी एसी हर आवाज़-ए-अज़ाँ छोड़ती है |
− | खुद भी खो जाती है, मिट जाती है, मर जाती है | + | खुद भी खो जाती है, मिट जाती है, मर जाती है |
− | जब कोई क़ौम कभी अपनी ज़बाँ छोड़ती है | + | जब कोई क़ौम कभी अपनी ज़बाँ छोड़ती है |
− | आत्मा नाम ही रखती है न मज़हब कोई | + | आत्मा नाम ही रखती है न मज़हब कोई |
− | वो तो मरती भी नहीं सिर्फ़ मकाँ छोड़ती है | + | वो तो मरती भी नहीं सिर्फ़ मकाँ छोड़ती है |
− | एक दिन सब को चुकाना है अनासिर का हिसाब | + | एक दिन सब को चुकाना है अनासिर का हिसाब |
ज़िन्दगी छोड़ भी दे मौत कहाँ छोड़ती है | ज़िन्दगी छोड़ भी दे मौत कहाँ छोड़ती है | ||
− | मरने वालों को भी मिलते नहीं मरने वाले | + | मरने वालों को भी मिलते नहीं मरने वाले |
− | मौत ले जा के खुदा जाने कहाँ छोड़ती है | + | मौत ले जा के खुदा जाने कहाँ छोड़ती है |
− | ज़ब्त-ए-ग़म खेल नहीं है अभी कैसे समझाऊँ | + | ज़ब्त-ए-ग़म खेल नहीं है अभी कैसे समझाऊँ |
देखना मेरी चिता कितना धुआँ छोड़ती है | देखना मेरी चिता कितना धुआँ छोड़ती है | ||
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20:28, 8 मई 2012 के समय का अवतरण
अपने होने का सुबूत और निशाँ छोड़ती है
रास्ता कोई नदी यूँ ही कहाँ छोड़ती है
नशे में डूबे कोई, कोई जिए, कोई मरे
तीर क्या क्या तेरी आँखों की कमाँ छोड़ती है
बंद आँखों को नज़र आती है जाग उठती हैं
रौशनी एसी हर आवाज़-ए-अज़ाँ छोड़ती है
खुद भी खो जाती है, मिट जाती है, मर जाती है
जब कोई क़ौम कभी अपनी ज़बाँ छोड़ती है
आत्मा नाम ही रखती है न मज़हब कोई
वो तो मरती भी नहीं सिर्फ़ मकाँ छोड़ती है
एक दिन सब को चुकाना है अनासिर का हिसाब
ज़िन्दगी छोड़ भी दे मौत कहाँ छोड़ती है
मरने वालों को भी मिलते नहीं मरने वाले
मौत ले जा के खुदा जाने कहाँ छोड़ती है
ज़ब्त-ए-ग़म खेल नहीं है अभी कैसे समझाऊँ
देखना मेरी चिता कितना धुआँ छोड़ती है