भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रहनुमा हैं इसलिए ये तो सुधरने से रहे / प्रमोद रामावत ’प्रमोद’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('जब महल से दूर बस्ती तक सवारी जायेगी तब किसी मासूम की ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:39, 11 मई 2012 के समय का अवतरण

जब महल से दूर बस्ती तक सवारी जायेगी तब किसी मासूम की नथ भी उतारी जायेगी

सिलसिला यूँ ही चलेगा ये सुबह होने तलक और भी शायद कोई लड़की पुकारी जायेगी

हम अभी कचरा हमारा झोपड़ों पर डाल दें फिर दिखाने को कोई कुटिया बुहारी जायेगी

देखता है कौन सीरत हर तरफ है आईने आईनों के वास्ते सूरत निखारी जायेगी

आज वो मेहमान है अच्छी तरह ख़ातिर करें कल हमारे हाथ से उनकी सुपारी जायेगी

आज तक समझे नहीं ये लोग दंगों के उसूल भीड़ बेतादाद है बस भीड़ मारी जायेगी

रहनुमा हैं इसलिए ये तो सुधरने से रहे रहनुमां के वास्ते बस्ती सुधारी जायेगी


..........प्रमोद रामावत संपर्क- 09424097155