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17:05, 18 मई 2012 का अवतरण
1
चाँदी की नाव
सोने के डाँड लगे
रेत में धँसी ।
2
नींद खुमारी
सिरहाना न मिला
पत्थर सही ।
3
हमसफ़र
मेरे गुन न गिने
खोट हि देखे ।
4
मैं दूर्वा भली
उजाड़ खण्डहर
कहीं भी पली ।
5
तुम दूध थे
मिली बनके पानी
सदा ही जली ।
6
बन्दिनी मैना
सोने की सलाखों में
रूठे हैं गीत ।
7
फेन , तिनके
माथे धरे सागर
रत्न डुबा दे ।
8
नाज़ुक फूल
सँकरे गुलदान
जान पे बनी ।
9
लिखते पेड़
हरियाले काग़ज़
प्रेम की पाती ।
10
कहीं न कहीं
हम सब बेचारे
दर्द के मारे ।
11
मैं तो खुशबू
हवाओं में समाऊँ
जग महके ।
12
छतों की शाम
वो दालान की धूप
सपना हुई ।