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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= सुधा गुप्ता |संग्रह=चुलबुली रात ने / सुधा गुप्ता }}[[Category:हाइकु]]<poem>13काँटों की खेती जीवन जोत दियाचुभे तो रोती ?14मेघ मुट्ठी मेंक़ैद चाँद , फिसलानिकल भागा ।15कौन पानी पीबोलती री चिड़ियाइतना मीठा !16पूनो की रातचाँद ने बहकाया लहरें उड़ीं ।17गुल्लक फोड़चुलबुली रात ने बिखेरे सिक्के ।18उली चादरचटक चाँदनी की बैठे हैं तारे ।19धुआँ चिलमनशाखोर शाम ने लगाया दम ।20फूलों का सही टूट गई कमर बोझ उठाते ।21काली चादरउजाले के फूल से काढ़ती रात ।22धूप से डर पीली छतरी ओढ़ेखड़ा वैशाख ।23बेसुध पड़ीनींद के घोंसले मेंपाखी -बिटिया ।24 यादों की लोईखूँटी पर टँगे-टँगेकीड़े कुतरी ।-0- </poem>