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तुम्हें भेजे थे
चन्द पीले गुलाब
मिल गए न ?
सिर्फ़ तुम्हारे लिए
सँजो रखे थे
पुखराज-पाटल
पीले गुलाब:
कोमल अहसास
तुम्हारा साथ
निर्धूम अगन -से
प्रशान्त ज्योति
पावनतम मित्र
मुझे भाती है
गुलाब की पीतिमा
 
पीले गुलाब
ओस-बिन्दु से सजे
महक उठे
अनाम ,अछूते वे
रिश्ते निर्वाक् ही रहे ।

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