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− | कविवर [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर]] ने 1919 में जापान-यात्रा से लौटने के पश्चात् ‘जापान-यात्री’ में [[हाइकु]] की चर्चा करते हुए बंगला में दो कविताओं के अनुवाद प्रस्तुत किये। | + | कविवर [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर]] ने 1919 में जापान-यात्रा से लौटने के पश्चात् ‘जापान-यात्री’ में [[हाइकु]] की चर्चा करते हुए बंगला में दो कविताओं के अनुवाद प्रस्तुत किये। इन्हें भारतीय धरती पर अवतरित पहले [[हाइकु]] के रूप में जाना जाता है |
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पुरोनो पुकुर | पुरोनो पुकुर | ||
ब्यांगेर लाफ | ब्यांगेर लाफ | ||
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+ | पुराना तालाब | ||
+ | मेंढक की कूद | ||
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पचा डाल | पचा डाल | ||
एकटा को | एकटा को | ||
शरत्काल | शरत्काल | ||
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+ | एक कौआ | ||
+ | शरत्काल | ||
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− | दोनों अनुवाद शब्दिक हैं और बाशो की प्रसिद्ध कविताओं के | + | *दोनों अनुवाद शब्दिक हैं और जापानी हाइकुकार [[मात्सुओ बाशो |बाशो]] की प्रसिद्ध कविताओं के हैं। |
22:02, 18 मई 2012 के समय का अवतरण
कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने 1919 में जापान-यात्रा से लौटने के पश्चात् ‘जापान-यात्री’ में हाइकु की चर्चा करते हुए बंगला में दो कविताओं के अनुवाद प्रस्तुत किये। इन्हें भारतीय धरती पर अवतरित पहले हाइकु के रूप में जाना जाता है वे कविताएँ हैं-
(1)
पुरोनो पुकुर
ब्यांगेर लाफ
जलेर शब्द
(हिन्दी भावानुवाद)
पुराना तालाब
मेंढक की कूद
पानी की आवाज
(2)
पचा डाल
एकटा को
शरत्काल
(हिन्दी भावानुवाद)
सूखी डाल
एक कौआ
शरत्काल
- दोनों अनुवाद शब्दिक हैं और जापानी हाइकुकार बाशो की प्रसिद्ध कविताओं के हैं।